बलूचिस्तान फिर सुलगा: 30 मई 2025 के BLA हमलों ने पाकिस्तान की सुरक्षा को दी खुली चुनौती
लेखक: आम चर्चा डेस्क | दिनांक: 31 मई 2025
बलूचिस्तान एक बार फिर पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। 30 मई 2025 को बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) द्वारा किए गए सुनियोजित और समन्वित हमलों ने पाकिस्तान की सैन्य और प्रशासनिक व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया।
सोराब शहर पर नियंत्रण, मोंगूचर में सैन्य टुकड़ी पर घात और सेना के बख्तरबंद वाहनों को निशाना बनाना—इन सबने यह स्पष्ट कर दिया कि बलूच अलगाववाद अब केवल आवाज़ नहीं, बल्कि एक सक्रिय युद्ध की शक्ल अख्तियार कर चुका है।
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सोराब पर BLA का कब्ज़ा: प्रतीकात्मक और सामरिक हमला
बलूचिस्तान के सोराब शहर पर BLA द्वारा तीन घंटे तक चलाए गए ऑपरेशन में असिस्टेंट कमिश्नर की हत्या और शहर पर नियंत्रण का दावा पाकिस्तान के लिए शर्मिंदगी का विषय बन गया। यह हमला ऐसे समय हुआ जब पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर स्वयं बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा में मौजूद थे। यह न केवल एक सैन्य असफलता का संकेत है बल्कि बलूच विद्रोहियों की रणनीतिक क्षमता को भी दर्शाता है।
इस घटना का प्रतीकात्मक महत्व भी अत्यधिक है: एक ओर सेना प्रमुख की मौजूदगी, दूसरी ओर सत्ता के केंद्र से चंद किलोमीटर दूर राज्य का नियंत्रण हाथ से फिसलना—इससे बलूच विद्रोह की गंभीरता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
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मोंगूचर की मुठभेड़: दावे, प्रतिदावे और जमीनी हकीकत
कलात जिले के मोंगूचर क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में BLA ने दावा किया कि उन्होंने 25 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया और दो टैंकों को नष्ट किया। वहीं, पाकिस्तानी सेना ने दावा किया कि उन्होंने 23 BLA लड़ाकों को मार गिराया और क्षेत्र को फिर से अपने नियंत्रण में ले लिया। इन परस्पर विरोधी दावों की सत्यता को स्वतंत्र रूप से प्रमाणित करना मुश्किल है, लेकिन स्थानीय सूत्रों और कुछ अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की रिपोर्ट्स से संकेत मिलता है कि पाकिस्तानी सेना को इस संघर्ष में भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
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पाकिस्तानी सेना की जवाबी रणनीति: कसम, लेकिन क्या कार्रवाई?
पाकिस्तानी सेना ने इन हमलों के बाद पूरे बलूचिस्तान में विस्तृत सैन्य अभियानों की शुरुआत की है। जनरल आसिम मुनीर ने आतंकवादियों को समाप्त करने की कसम खाई है। किंतु, इससे पहले भी ऐसे कई दावे किए जा चुके हैं, जिनके नतीजे धरातल पर सीमित ही रहे हैं।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि बलूचिस्तान की भौगोलिक बनावट, जन समर्थन और "हिट एंड रन" रणनीति के कारण पारंपरिक सैन्य कार्रवाइयाँ अक्सर विफल होती रही हैं।
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BLA की रणनीति: "Stay, Hit, and Run" की सफलता
BLA ने इस बार अपनी रणनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव दिखाया है। संगठन ने स्पष्ट रूप से बताया कि वे "Stay, Hit, and Run" यानी किसी स्थान पर टिक कर, हमला कर और फिर रणनीतिक रूप से पीछे हटकर विरोधी को भ्रमित कर रहे हैं। इससे पाकिस्तान की नियमित सैन्य रणनीति को टक्कर मिल रही है, जो अधिकतर स्थायी नियंत्रण और मोर्चाबंदी पर आधारित होती है।
इस रणनीति का उद्देश्य न केवल सैन्य ठिकानों को नुकसान पहुँचाना है, बल्कि स्थानीय जनता के बीच BLA की स्वीकार्यता और साहस को भी बढ़ाना है।
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बलूचिस्तान की पृष्ठभूमि: शोषण, असंतोष और अलगाव
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा, लेकिन सबसे कम आबादी वाला और सबसे उपेक्षित प्रांत है। प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर होने के बावजूद, यहाँ के लोगों को न तो पर्याप्त राजनीतिक अधिकार मिले हैं, न ही आर्थिक हिस्सेदारी।
BLA जैसे संगठन लंबे समय से पाकिस्तान सरकार पर आर्थिक शोषण, मानवाधिकार उल्लंघन और सांस्कृतिक पहचान के दमन का आरोप लगाते आ रहे हैं। मार्च 2025 में Jaffar Express ट्रेन के अपहरण जैसी घटनाएँ यह दिखाती हैं कि अस्थिरता केवल आतंकवादी कार्रवाइयों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह स्थानीय असंतोष की गहरी जड़ों से भी जुड़ी हुई है।
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अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और पाकिस्तान की छवि
बलूचिस्तान में बढ़ती अशांति पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि को भी प्रभावित कर रही है। एक ओर पाकिस्तान खुद को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी राष्ट्र बताता है, वहीं अपने ही देश में लगातार हो रहे विद्रोही हमले इस दावे को झुठलाते प्रतीत होते हैं।
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) का अधिकांश हिस्सा बलूचिस्तान से होकर गुजरता है। इस क्षेत्र की अस्थिरता इस परियोजना को भी खतरे में डाल सकती है, जिससे चीन के साथ पाकिस्तान के रणनीतिक और आर्थिक संबंधों पर भी असर पड़ सकता है।
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क्या पाकिस्तान बलूच विद्रोह को दबा पाएगा?
बलूचिस्तान की समस्या महज़ एक सैन्य चुनौती नहीं है; यह एक राजनीतिक, सामाजिक और ऐतिहासिक संकट है। केवल सैन्य अभियानों से BLA और अन्य अलगाववादी समूहों को पूरी तरह से समाप्त करना संभव नहीं लगता। इसके लिए आवश्यक है:
राजनीतिक संवाद की पहल
स्थानीय प्रतिनिधित्व को मज़बूत करना
आर्थिक संसाधनों का न्यायसंगत वितरण
मानवाधिकारों का सम्मान
बिना इन पहलों के, हर सैन्य कार्रवाई केवल एक और अस्थायी समाधान सिद्ध होगी।
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बलूचिस्तान—पाकिस्तान की सबसे बड़ी आंतरिक चुनौती
30 मई 2025 के हमलों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बलूचिस्तान में अलगाववादी आंदोलन अब पहले से कहीं अधिक संगठित, आक्रामक और रणनीतिक हो गए हैं। पाकिस्तान के लिए यह केवल सुरक्षा का मुद्दा नहीं, बल्कि उसकी राज्यव्यवस्था की वैधता, संघीय ढांचे की स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है।
क्या पाकिस्तान इस चुनौती का समाधान खोज पाएगा, या बलूचिस्तान एक लंबे गृहयुद्ध की ओर बढ़ रहा है—यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा।
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