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बिहार फर्स्ट,बिहारी फर्स्ट का "चिराग" जलाए हुए है छोटे पासवान। chirag pasvan in Bihar assembly elections

चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और पूर्व में लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) का बिहार विधानसभा चुनावों में प्रदर्शन समय के साथ उतार-चढ़ाव भरा रहा है। नीचे बिहार विधानसभा चुनावों में LJP के प्रदर्शन का सारांश और 2025 के आगामी चुनाव के लिए उनकी संभावित चुनौतियाँ और रणनीति को जोड़ा गया है, जो कि उपलब्ध जानकारी और पिछली चर्चा पर आधारित है।
 **LJP का बिहार विधानसभा चुनावों में प्रदर्शन**
1. **2005 (फरवरी) विधानसभा चुनाव**:
   - LJP ने कांग्रेस के साथ गठबंधन में 178 सीटों पर चुनाव लड़ा और 29 सीटें जीतीं, जिसमें लगभग 18% वोट शेयर प्राप्त हुआ। यह LJP का अब तक का सबसे मजबूत प्रदर्शन था।

   - इस समय रामविलास पासवान के नेतृत्व में पार्टी ने दलित वोटों को प्रभावी ढंग से एकजुट किया था। हालांकि, कोई भी गठबंधन बहुमत हासिल नहीं कर सका, और LJP ने किसी भी गठबंधन को समर्थन देने से इनकार कर दिया, जिसके कारण राष्ट्रपति शासन लागू हुआ।


2. **2005 (अक्टूबर-नवंबर) विधानसभा चुनाव**:
   - दोबारा हुए चुनाव में LJP का प्रदर्शन कमजोर रहा। पार्टी ने 203 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन केवल 10 सीटें जीतीं, और वोट शेयर घटकर 11.10% रह गया।


   - इस दौरान एनडीए (बीजेपी-जेडी(यू)) ने स्पष्ट बहुमत हासिल किया, और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने। LJP की सियासी हैसियत कमजोर होने लगी।


3. **2010 विधानसभा चुनाव**:
   - LJP ने राजद के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा और केवल 3 सीटें जीतीं, जिसमें वोट शेयर 6.75% रहा। यह 2005 की तुलना में और कमजोर प्रदर्शन था।

   - इस समय नीतीश कुमार की अगुवाई में एनडीए की लहर थी, जिसके कारण LJP को भारी नुकसान हुआ। पार्टी के कई नेताओं ने जेडी(यू) में शामिल होने की कोशिश की, जिससे पार्टी की एकता प्रभावित हुई।


4. **2015 विधानसभा चुनाव**:
   - LJP ने एनडीए के हिस्से के रूप में 42 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन केवल 2 सीटें जीतीं, और वोट शेयर 4.83% रहा।

   - इस समय जेडी(यू), राजद और कांग्रेस का महागठबंधन सत्ता में आया, और LJP की स्थिति और कमजोर हुई।


5. **2020 विधानसभा चुनाव**:
   - चिराग पासवान के नेतृत्व में LJP ने एनडीए से अलग होकर 137 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ा। पार्टी ने केवल 1 सीट (मटिहानी, बेगूसराय) जीती, जिसमें राज कुमार सिंह ने जेडी(यू) के नरेंद्र कुमार सिंह को 333 वोटों के अंतर से हराया।

   - LJP का वोट शेयर 4.83% (2015) से बढ़कर 5.7% हो गया, लेकिन सीटों के मामले में यह पार्टी का सबसे खराब प्रदर्शन था।

   - LJP ने 64 सीटों पर तीसरे स्थान पर रहकर "स्पॉइलर" की भूमिका निभाई, जिसमें से 27 सीटों पर जेडी(यू) की हार में LJP की भूमिका महत्वपूर्ण थी।


   - पार्टी ने 9 सीटों पर दूसरा स्थान हासिल किया, जिसमें बीजेपी और जेडी(यू) के बागी नेताओं को टिकट देकर जेडी(यू) को नुकसान पहुँचाया।


 **2025 विधानसभा चुनाव के लिए चुनौतियाँ**
2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान और उनकी पार्टी LJP (रामविलास) के सामने कई चुनौतियाँ हैं, जैसा कि पहले चर्चा में उल्लेख किया गया है। इनका सारांश निम्नलिखित है:

1. **स्थानीय मुddों पर दबाव**:
   - बिहार में बेरोजगारी, बाढ़, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे स्थानीय मुद्दे अहम हैं। चिराग को नीतीश सरकार की नीतियों के साथ तालमेल बिठाते हुए अपनी पार्टी के लिए विकास-उन्मुख एजेंडा पेश करना होगा।


2. **सीट बंटवारे में मोलभाव**:
   - चिराग ने 50 सीटों पर लड़ने की माँग की है, लेकिन बीजेपी और जेडी(यू) के साथ सीट बंटवारे में कड़ा मोलभाव होगा। कम सीटें मिलने पर उनकी पार्टी की साख को नुकसान हो सकता है।


3. **नीतीश कुमार के प्रभुत्व का सामना**:
   - चिराग ने नीतीश के नेतृत्व का समर्थन किया है, लेकिन उनकी चुनौती है कि वे दलित मतदाताओं को यह विश्वास दिलाएँ कि वे नीतीश के दबाव में अपनी आवाज नहीं दबाएँगे।

4. **विपक्ष का आक्रामक रुख**:
   - राजद और तेजस्वी यादव का स्थानीय स्तर पर मजबूत प्रभाव है। तेजस्वी ने चिराग पर वक्फ बिल और "कुर्सी प्रेम" जैसे मुद्दों पर हमला बोला है, जो उनकी छवि को प्रभावित कर सकता है।

5. **पारिवारिक और आंतरिक विवाद**:
   - पशुपति पारस और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ चल रहा विवाद स्थानीय स्तर पर नकारात्मक प्रचार का कारण बन सकता है।


6. **संगठनात्मक और वित्तीय चुनौतियाँ**:
   - 50 सीटों पर लड़ने के लिए मजबूत बूथ-स्तरीय संगठन और संसाधनों की जरूरत होगी। LJP को कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने और प्रचार के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने में मेहनत करनी होगी।


7. **दलित और गैर-दलित वोटों का संतुलन**:
   - चिराग का मुख्य आधार पासवान समुदाय है, लेकिन जीत के लिए उन्हें गैर-पासवान दलित, OBC और अन्य समुदायों को जोड़ना होगा। यह स्थानीय जातिगत समीकरणों के कारण जटिल है।


 **2025 के लिए चिराग की रणनीति**
चिराग पासवान की रणनीति को पहले चर्चा में विस्तार से बताया गया है, लेकिन LJP के पिछले प्रदर्शन के संदर्भ में इसे और स्पष्ट किया जा सकता है:


1. **अधिक सीटों की माँग**:
   - 2024 के लोकसभा चुनाव में LJP (रामविलास) ने 5 सीटों पर 100% स्ट्राइक रेट हासिल किया, जिसे आधार बनाकर चिराग 50 सीटों की माँग कर रहे हैं। उनकी रणनीति है कि वे उन सीटों पर ध्यान दें, जहाँ दलित वोटों का प्रभाव है।


2. **नीतीश के साथ संतुलन**:
   - चिराग ने नीतीश के नेतृत्व को स्वीकार किया है, लेकिन 2020 की तरह बगावत से बचने के लिए वे गठबंधन धर्म निभाते हुए अपनी स्वतंत्र छवि बनाए रखने की कोशिश करेंगे।


3. **दलित और अन्य समुदायों का गठजोड़**:
   - चिराग की रणनीति में दलित वोटों को मजबूत करने के साथ-साथ OBC और अन्य समुदायों को जोड़ना शामिल है। उनकी "बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट" विजन डॉक्यूमेंट इस दिशा में एक प्रयास है।


4. **संगठन को मजबूत करना**:
   - चिराग ने पार्टी के संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत करने पर जोर दिया है। 28 नवंबर 2024 को पटना में प्रस्तावित रैली उनकी जनता तक पहुँचने की रणनीति का हिस्सा हैं।


5. **विपक्ष के हमलों का जवाब**:
   - चिराग तेजस्वी के हमलों का जवाब सावधानीपूर्वक दे रहे हैं, ताकि विवादों से बचा जा सके। उनकी रणनीति है कि वे सकारात्मक एजेंडे पर ध्यान दें, जैसे कि रोजगार और विकास।


6. **पारिवारिक विवादों का प्रबंधन**:
   - चिराग पशुपति पारस के साथ विवाद को कम प्रचारित करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि यह उनकी पार्टी की एकता और प्रचार को प्रभावित न करे।

 **चुनौतियां**
LJP का बिहार विधानसभा चुनावों में प्रदर्शन 2005 में अपने चरम (29 सीटें) से 2020 में सबसे निचले स्तर (1 सीट) तक रहा है। 2020 में चिराग की "एकल चलो" रणनीति ने जेडी(यू) को नुकसान पहुँचाया, लेकिन पार्टी को खुद सीटों में लाभ नहीं मिला। 2025 के लिए चिराग की रणनीति एनडीए के साथ रहते हुए अधिक सीटें हासिल करने, दलित और गैर-दलित वोटों को जोड़ने, और नीतीश के साथ संतुलन बनाए रखने पर केंद्रित है। उनकी चुनौतियाँ स्थानीय मुddों, सीट बंटवारे, और विपक्ष के हमलों से निपटने में होंगी। यदि आप किसी विशेष चुनाव या रणनीति पर और विस्तार चाहते हैं, तो कृपया बताएँ!

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