google.com, pub-7513609248165580, DIRECT, f08c47fec0942fa0 एक देश, एक चुनाव: 12 जुलाई 2025 की जेपीसी बैठक और लोकतांत्रिक दिशा का विश्लेषण।

Ticker

6/recent/ticker-posts

Ad

एक देश, एक चुनाव: 12 जुलाई 2025 की जेपीसी बैठक और लोकतांत्रिक दिशा का विश्लेषण।

🗳️ एक देश, एक चुनाव: संयुक्त संसदीय समिति की बैठक और भारतीय लोकतंत्र की नई दिशा

लेखक: आम चर्चा विश्लेषण डेस्क | दिनांक: 12 जुलाई 2025

🔰 प्रस्तावना

भारतीय लोकतंत्र अपने 75 वर्षों की यात्रा में अब एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहाँ प्रशासनिक दक्षता, चुनावी सुधार, और संघीय संरचना के बीच संतुलन बनाना आवश्यक हो गया है। इसी परिप्रेक्ष्य में “एक देश, एक चुनाव” (One Nation, One Election) की अवधारणा फिर से केंद्र में है। 12 जुलाई 2025 को संसद भवन में आयोजित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखी जा रही है।

📍 बैठक का विवरण: क्या हुआ 12 जुलाई 2025 को?

आज की जेपीसी बैठक में कुल 39 सदस्य (27 लोकसभा और 12 राज्यसभा सांसद) शामिल हुए। समिति की अध्यक्षता भाजपा सांसद पी.पी. चौधरी कर रहे हैं। बैठक का मुख्य उद्देश्य दो विधेयकों की समीक्षा करना था:

  • संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024
  • केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024

इस बैठक में पूर्व मुख्य न्यायाधीशों, संवैधानिक विशेषज्ञों, और चुनाव आयुक्तों के साथ विचार-विमर्श की संभावना थी।

📜 "एक देश, एक चुनाव" की पृष्ठभूमि

भारत में 1952 से 1967 तक आम चुनाव और राज्य चुनाव एक साथ ही कराए जाते थे। लेकिन समय के साथ यह क्रम टूटा। 2017 से मोदी सरकार ने इस विषय पर गंभीर चर्चा शुरू की और अब जेपीसी के माध्यम से इसे कानूनी रूप देने की दिशा में कार्य हो रहा है।

⚖️ प्रस्तावित संशोधन: क्या बदलेगा 129वां संविधान संशोधन?

  • लोकसभा और विधानसभाओं का कार्यकाल एकसमान होगा
  • राज्य सरकारों के समयपूर्व विघटन पर राष्ट्रपति शासन लग सकता है
  • निर्वाचन आयोग को नई शक्तियाँ दी जाएंगी

🔍 क्यों ज़रूरी है 'एक देश, एक चुनाव'?

✅ संभावित लाभ:

  • खर्च में कटौती: हज़ारों करोड़ रुपये की बचत
  • प्रशासनिक दक्षता: आचार संहिता से बाधित कार्यों में सुधार
  • राजनीतिक स्थिरता: तय कार्यकाल
  • मतदाता भागीदारी: जागरूकता में वृद्धि

⚠️ प्रमुख चुनौतियाँ और आलोचना:

  • संविधान में कई अनुच्छेदों में बदलाव की ज़रूरत
  • राष्ट्रपति शासन के दुरुपयोग की संभावना
  • राज्यों की स्वायत्तता प्रभावित हो सकती है
  • क्षेत्रीय दलों का कमजोर होना

🧑‍⚖️ विशेषज्ञों की राय

जेपीसी की पिछली बैठकों में जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस केहर, जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ जैसे पूर्व CJI ने भाग लिया। उन्होंने संघीय ढांचे की गरिमा और संवैधानिक संतुलन को लेकर सुझाव दिए।

🗳️ निर्वाचन आयोग की भूमिका

निर्वाचन आयोग को व्यापक तकनीकी, प्रशासनिक और कानूनी समर्थन की आवश्यकता होगी। इस पर भी विचार हो रहा है कि आयोग को विशेष संवैधानिक दर्जा दिया जाए।

🏛️ राजनीतिक परिदृश्य

भाजपा इसे लोकतांत्रिक सुधार के रूप में प्रस्तुत कर रही है, जबकि विपक्ष इसे संघीयता पर हमला मान रहा है। राज्यों में विधानसभा चुनावों का गणित इस प्रक्रिया को जटिल बनाता है।

🌐 अंतरराष्ट्रीय उदाहरण

देश चुनाव पद्धति
दक्षिण अफ्रीका राष्ट्रीय और प्रांतीय चुनाव साथ
स्वीडन संसद और स्थानीय निकाय चुनाव साथ
बेल्जियम संघीय और स्थानीय चुनाव साथ

📅 आगे की प्रक्रिया

  • जेपीसी रिपोर्ट संसद में प्रस्तुत की जाएगी
  • संसद में बहस और संशोधन
  • राज्य विधानसभाओं से स्वीकृति
  • राष्ट्रपति की मंज़ूरी के बाद कानून लागू

🧾 निष्कर्ष: सुधार या सत्ता विस्तार?

“एक देश, एक चुनाव” एक साहसिक और दूरगामी सुधार है, लेकिन इसे संवैधानिक गरिमा, संघीय संतुलन और लोकतांत्रिक सहमति के साथ ही लागू किया जाना चाहिए। वरना यह प्रयोग लोकतंत्र के लिए घातक भी सिद्ध हो सकता है।

🔎 SEO Keywords:

एक देश एक चुनाव, One Nation One Election Hindi, संविधान संशोधन 129, जेपीसी बैठक 12 जुलाई 2025, Indian Elections Reform, भारतीय लोकतंत्र सुधार

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ