पहलगाम हमले के बाद बेनकाब हुई गद्दारी: ज्योति मल्होत्रा और 12 अन्य जासूसों की सनसनीखेज कहानी
प्रस्तावना: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हालिया आतंकी हमले के बाद गिरफ्तार किए गए 13 संदिग्धों ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। ये सभी पाकिस्तान के लिए काम कर रहे थे और देश की सुरक्षा में सेंध लगाने का काम कर रहे थे।
ज्योति मल्होत्रा: सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर या दुश्मन देश की एजेंट?
ज्योति मल्होत्रा, जो ‘जट्ट रंधावा’ के नाम से सोशल मीडिया पर सक्रिय थी, ISI के संपर्क में थी और भारतीय खुफिया जानकारी पाकिस्तान भेज रही थी।
- 23 मार्च 2024 को पहला यूट्यूब वीडियो डाला।
- पाकिस्तानी नागरिक अली अहसान के संपर्क में आई।
- बाली, इंडोनेशिया भेजे जाने के सुराग मिले।
- पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान उच्चायोग में एक व्यक्ति के साथ देखी गई।
12 अन्य गिरफ्तार जासूस: आम शक्लें, गहरी साजिशें
इन 12 लोगों की पहचान विभिन्न राज्यों से हुई है, जिनमें से कई सरकारी सेवा में थे और कुछ फर्जी NGO चलाते थे।
| नाम | राज्य | भूमिका | संपर्क माध्यम |
|---|---|---|---|
| अशफाक अहमद | राजस्थान | रेलवे मूवमेंट रिपोर्ट करना | मोबाइल ऐप, व्हाट्सएप |
| रज़िया बेगम | मुंबई | सोशल मीडिया जासूसी | फेसबुक, NGO |
| सुनील यादव | उत्तर प्रदेश | सैन्य कैंप की तस्वीरें | टेलीग्राम, व्हाट्सएप |
| हर्षल पाटिल | पुणे | ISRO स्टाफ से संपर्क | कॉन्फ्रेंस |
| मोहम्मद तौसीफ | दिल्ली | सरकारी दस्तावेज़ चोरी | फर्जी RTI |
ऑपरेशन 'सिंदूर' और डिजिटल नेटवर्क
पंजाब पुलिस ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत गुरदासपुर से दो जासूसों को गिरफ्तार किया। ये ISI से ₹1 लाख लेकर संवेदनशील सैन्य जानकारियाँ भेज रहे थे।
डिजिटल जासूसी का नया चेहरा
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का दुरुपयोग
- फर्जी NGOs के ज़रिए सैन्य और प्रशासनिक संपर्क
- यूट्यूब, इंस्टाग्राम और फेसबुक से दुश्मन से संवाद
जांच एजेंसियों की रणनीति
- कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) की निगरानी
- सोशल मीडिया लॉग्स की फॉरेंसिक जांच
- RAW, IB, और NIA का तालमेल
तीखी टिप्पणी: “गद्दारी अब डिजिटल है – और हम बेखबर हैं”
सोचिए, एक यूट्यूबर जो दर्शकों को ट्रैवल वीडियो दिखा रहा था, दरअसल वह पाकिस्तान को हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी जानकारियाँ दे रहा था। NGOs, RTI, सोशल मीडिया—सब बन गए हैं जासूसी के औजार।
निष्कर्ष: समय रहते चेतो
इन गिरफ्तारियों ने दिखा दिया है कि देश के दुश्मन अब सीमा के पार नहीं, बल्कि हमारे बीच बैठे हैं। सरकार और जनता दोनों को सतर्क रहना होगा। सोशल मीडिया, NGOs और डिजिटल स्पेस में सख्ती की जरूरत है।
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