भारत की सैन्य ताकत लगातार आधुनिक तकनीकों से लैस हो रही है, जिसमें एयर डिफेंस सिस्टम एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन चुका है। इस दिशा में आकाश एयर डिफेंस सिस्टम (Akash Air Defence System) भारतीय वैज्ञानिकों की एक बड़ी उपलब्धि है। यह न केवल भारत की सीमाओं को वायु हमलों से सुरक्षित करता है, बल्कि स्वदेशी रक्षा उद्योग को भी मजबूती देता है। यह लेख भारतीय सेना के लिए आकाश प्रणाली की खूबियों, इसकी मारक क्षमता, विकास यात्रा और वैश्विक तुलना पर आधारित है।
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क्या है आकाश एयर डिफेंस सिस्टम?
आकाश एक मध्यम दूरी तक मार करने वाला सतह से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम है। इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है। इसकी प्रमुख भूमिका है हवाई खतरों जैसे दुश्मन के फाइटर जेट, ड्रोन, क्रूज़ मिसाइल और हेलीकॉप्टरों को नष्ट करना।
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इसकी प्रमुख खूबियां
1. रेंज और मारक क्षमता:
आकाश मिसाइल की मारक क्षमता 25 से 45 किलोमीटर तक है। यह 30 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ने वाले टारगेट्स को निशाना बना सकती है।
2. रडार और टारगेटिंग सिस्टम:
इसमें ‘राजेंद्र रडार’ जैसे अत्याधुनिक 3डी रडार लगे हैं, जो एक साथ 64 टारगेट को ट्रैक और 12 लक्ष्यों पर हमला कर सकते हैं।
3. मल्टी टारगेट एंगेजमेंट:
यह प्रणाली एक समय में कई टारगेट को ट्रैक और नष्ट कर सकती है, जिससे एक साथ आने वाले हवाई हमलों को भी रोका जा सकता है।
4. मोबिलिटी:
आकाश सिस्टम को ट्रक या ट्रैक किए गए वाहन पर लगाया जा सकता है। इससे इसे कहीं भी जल्दी तैनात किया जा सकता है, चाहे पहाड़ी क्षेत्र हो या रेगिस्तान।
5. इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग प्रूफ:
यह दुश्मन के इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग से सुरक्षित है, जो इसे युद्ध के समय ज्यादा प्रभावशाली बनाता है।
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विकास की चरणबद्ध यात्रा
1990s: आकाश परियोजना की शुरुआत DRDO ने की थी, ताकि भारत को एक स्वदेशी एयर डिफेंस समाधान मिल सके।
2007-2012: इसके पहले परीक्षण हुए और सफल प्रदर्शन ने इसे सेना के लिए विश्वसनीय विकल्प बनाया।
2014: भारतीय वायुसेना में इसे पहली बार शामिल किया गया।
2015: भारतीय थलसेना ने भी इसे अपनी वायु सुरक्षा में शामिल किया।
2021-2022: आकाश-एनजी (नई पीढ़ी) का विकास हुआ जिसकी रेंज 70 किमी तक बढ़ा दी गई और यह स्टील्थ टारगेट्स पर भी वार कर सकती है।
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आकाश के उन्नत संस्करण
1. आकाश MK1: बेसिक वर्जन जिसमें 30 किमी की रेंज है।
2. आकाश MK1S: इसमें seeker head जोड़ा गया जो लक्ष्य की पहचान और ट्रैकिंग को और सटीक बनाता है।
3. आकाश-एनजी (NG): नई पीढ़ी की मिसाइल जिसकी रेंज 70 किमी है और इसमें ड्यूल-पल्स मोटर व एक्टिव रडार सीकर लगा है।
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अन्य देशों से तुलना
देश सिस्टम रेंज (किमी) विशेषता
भारत आकाश 25–45 स्वदेशी, मल्टी टारगेट, मोबाइल
रूस S-400 ट्रायम्फ 40–400 अत्याधुनिक रडार, लॉन्ग रेंज
इजराइल आयरन डोम 70 रॉकेट व मोर्टार रोधी, शॉर्ट रेंज
चीन स्काई ड्रैगन-50 50 मध्यम दूरी, 12 टारगेट एंगेजमेंट
हालांकि S-400 जैसे सिस्टम की रेंज ज़्यादा है, लेकिन आकाश की खास बात यह है कि यह पूरी तरह भारत में विकसित, किफायती और तेजी से तैनात होने योग्य प्रणाली है।
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वैश्विक मांग और निर्यात
आकाश एयर डिफेंस सिस्टम की तकनीक और भरोसेमंद प्रदर्शन को देखकर कई देशों ने इसमें रुचि दिखाई है:
आर्मेनिया ने $600 मिलियन डॉलर का ऑर्डर दिया है।
फिलीपींस, मिस्र, ब्राज़ील, यूएई, मलेशिया, वियतनाम जैसे देश भी इससे प्रभावित हैं और बातचीत कर रहे हैं।
इससे भारत की रक्षा निर्यात नीति को भी बल मिला है और भारत रक्षा उत्पादों के निर्यातक देशों की सूची में ऊपर आ रहा है।
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आकाश की तैनाती और संचालन
भारत के पूर्वी और पश्चिमी मोर्चों पर इसकी तैनाती हो चुकी है।
यह युद्धकाल में एयरबेस, सेना के मूवमेंट और महत्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा करता है।
वायुसेना और थलसेना दोनों ही इसका उपयोग कर रही हैं।
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भविष्य की योजनाएं
आकाश सिस्टम को आने वाले समय में नेवी वर्जन में भी बदला जा सकता है।
भारत DRDO और निजी रक्षा कंपनियों के सहयोग से आकाश को और उन्नत बनाने की योजना पर काम कर रहा है।
आकाश-एनजी के साथ भारत लंबे समय तक चलने वाली वायु सुरक्षा सुनिश्चित कर सकेगा।
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आत्म निर्भर भारत के तरह बढ़ते कदम।
आकाश एयर डिफेंस सिस्टम भारत के आत्मनिर्भर रक्षा मिशन का सशक्त प्रतीक है। यह केवल एक मिसाइल प्रणाली नहीं, बल्कि एक रणनीतिक ढांचा है जो भारतीय सेनाओं को मजबूत करता है। इसकी स्वदेशी तकनीक, कम लागत, उच्च सटीकता और विश्वसनीयता इसे दुनिया की प्रमुख एयर डिफेंस प्रणालियों की कतार में खड़ा करती है। आने वाले वर्षों में जैसे-जैसे इसके निर्यात बढ़ेंगे, यह भारत को वैश्विक रक्षा बाजार में एक निर्णायक खिलाड़ी बनाएगा।
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लेखक: AamCharcha टीम
टैग्स: आकाश मिसाइल, भारतीय रक्षा, एयर डिफेंस सिस्टम, आकाश एनजी, S-400, मिसाइल निर्यात, DRDO, भारतीय सेना
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