समितियाँ भारत की आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता और शून्य सहनशीलता की नीति को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करेंगी, जिससे भारत की सुरक्षा चिंताओं को अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिलेगा।
प्रत्येक समिति अलग-अलग देशों का दौरा करेगी, जैसे शशि थरूर अमेरिका, पनामा, गुयाना, ब्राजील, कोलंबिया जाएंगे, और रवि शंकर प्रसाद यूरोपीय संघ, यूके, फ्रांस, जर्मनी, इटली, डेनमार्क जाएंगे।
समितियों और उनके दौरे
भारत सरकार ने सात समितियाँ बनाई हैं, जिनके नेता और दौरा किए जाने वाले देश इस प्रकार हैं:
शशि थरूर (कांग्रेस): अमेरिका, पनामा, गुयाना, ब्राजील, कोलंबिया।
संजय कुमार झा (JD(U)): जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, मलेशिया, इंडोनेशिया।
रवि शंकर प्रसाद (BJP): यूरोपीय संघ, यूके, फ्रांस, जर्मनी, इटली, डेनमार्क।
सुप्रिया सुले (NCP SP): दक्षिण अफ्रीका, कतर, मिस्र, इथियोपिया।
कनिमोझी (DMK): रूस, स्पेन, ग्रीस, स्लोवेनिया, लातविया।
श्रीकांत एकनाथ शिंदे (शिव सेना): संयुक्त अरब अमीरात, लाइबेरिया, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, सिएरा लियोन।
बैजयंत पांडा (BJP): सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन, अल्जीरिया।
प्रत्येक समिति में 6-7 सांसद शामिल हैं, जो विभिन्न राजनीतिक दलों से हैं, जैसे कांग्रेस, BJP, DMK, आदि।
ये समितियाँ भारत को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत करेंगी, पाकिस्तान के नैरेटिव का खंडन करेंगी, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन हासिल करेंगी। इससे भारत की सुरक्षा नीतियों को वैश्विक स्तर पर मजबूती मिलेगी।
ऑपरेशन सिंदूर भारत की एक सैन्य कार्रवाई थी, जो 6-7 मई, 2025 की रात को की गई थी, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान और पाकिस्तान-आधिपत्य जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाना था। यह कार्रवाई 22 अप्रैल, 2025 को पाहलगाम में हुए आतंकवादी हमले, जिसमें 26 नागरिकों की मृत्यु हुई, के जवाब में की गई थी। भारत सरकार ने इस कार्रवाई को आतंकवाद को रोकने और डराने के लिए आवश्यक बताया।
समितियों का गठन और नेतृत्व
1- शशि थरूर (कांग्रेस)-अध्यक्ष
अमेरिका, पनामा, गुयाना, ब्राजील, कोलंबिया ( दौरे वाले देश)
सदस्य -
शंभवी चौधरी (LJP RV), सरफराज अहमद (JMM), जी.एम. हरीश बालायोगी (TDP), शशांक मणि त्रिपाठी (BJP), भुवनेश्वर कलिता (BJP), मिलिंद देवड़ा (शिव सेना)
जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, मलेशिया, इंडोनेशिया (दौरे वाले देश)
सदस्य -
सलमान खुर्शीद (कांग्रेस), अपराजिता सरंगी (BJP), यूसुफ पठान (TMC), जॉन ब्रिट्टास (CPM)
यूरोपीय संघ, यूके, फ्रांस, जर्मनी, इटली, डेनमार्क(दौरे वाले देश)
सदस्य -
प्रियंका चतुर्वेदी (शिव सेना UBT), डी. पुरंदेश्वरी (BJP), एम.जे. अकबर (पूर्व केंद्रीय मंत्री), अमर सिंह (कांग्रेस)
दक्षिण अफ्रीका, कतर, मिस्र, इथियोपिया(दौरे वाले देश)
सदस्य -
आनंद शर्मा (कांग्रेस), मनीष तिवारी (कांग्रेस), राजीव प्रताप रूडी (BJP), अनुराग ठाकुर (BJP), विक्रमजीत साहने (AAP)
रूस, स्पेन, ग्रीस, स्लोवेनिया, लातविया (दौरे वाले देश)
सदस्य -
मियां अल्ताफ अहमद (नेशनल कॉन्फ्रेंस)
संयुक्त अरब अमीरात, लाइबेरिया, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, सिएरा लियोन (दौरे वाले देश)
सदस्य -
सस्मित पत्र (BJD), ई.टी. मोहम्मद बशीर (मुस्लिम लीग)
सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन, अल्जीरिया (दौरे वाले देश)
सदस्य -
गुलाम नबी आजाद (पूर्व विपक्ष के नेता राज्यसभा), निशिकांत दुबे (BJP), असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM)
इन समितियों में कुल 51 सांसद शामिल हैं, और प्रत्येक समिति में 6-7 सदस्य हैं। ये सांसद विभिन्न राजनीतिक दलों से हैं, जैसे कांग्रेस, BJP, DMK, NCP, आदि, जो भारत की एकजुटता को दर्शाता है।
दौरा किए जाने वाले देश और उद्देश्य
समितियाँ 32 देशों और यूरोपीय संघ का दौरा करेंगी, जिसमें P5 देशों (अमेरिका, यूके, फ्रांस, रूस, लेकिन चीन को छोड़कर) जैसे महत्वपूर्ण राष्ट्र शामिल हैं। इन दौरे का मुख्य उद्देश्य भारत की स्थिति को प्रस्तुत करना है, विशेष रूप से पाकिस्तान द्वारा समर्थित क्रॉस-बॉर्डर आतंकवाद के खिलाफ।
भारत को होने वाले लाभ
एकजुटता का प्रदर्शन: विभिन्न दलों के सांसदों को शामिल करके, भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी एकजुटता को दर्शाता है, जो अंतरराष्ट्रीय मंच पर सकारात्मक संदेश देता है।
अंतरराष्ट्रीय समर्थन: यूएन सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों सहित महत्वपूर्ण राजधानियों में जाकर, भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन हासिल करेगा, जो भारत की सुरक्षा नीतियों को मजबूत करेगा।
कूटनीतिक अलगाव: पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने में मदद मिलेगी, जो भारत की रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
विवाद और चुनौतियाँ
हालांकि, इस पहल को लेकर कुछ विवाद भी सामने आए हैं। कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया है कि सरकार ने सांसदों के नामों की घोषणा करने में पारदर्शिता नहीं बरती और शशि थरूर जैसे सांसदों को शामिल करने में राजनीतिक खेल खेला गया।
इसके बावजूद, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने जोर दिया कि "सबसे महत्वपूर्ण क्षणों में, भारत एकजुट खड़ा है," जो इस पहल की द्विपक्षीय सहमति को दर्शाता है।
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