अमेरिका का ईरान पर बी-2 बॉम्बर से हमला | US Strikes on Iran Nuclear Sites
ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका का सर्जिकल एयरस्ट्राइक — पश्चिम एशिया में तनाव की नई लहर
22 जून 2025: अमेरिकी वायुसेना ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नतांज़, और इस्फ़हान—पर बी-2 स्टील्थ बॉम्बर्स और GBU-57 बंकर बस्टर बमों के माध्यम से हमला किया। इस हमले में लगभग 30 टॉमहॉक मिसाइलों का भी उपयोग हुआ।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे "शानदार सैन्य सफलता" बताया, यह दावा करते हुए कि इस हमले से ईरान की परमाणु क्षमता को गहरा नुकसान पहुँचा है।
हमले की रणनीति और हथियार
- बी-2 बॉम्बर्स ने मिसौरी के व्हाइटमैन एयर फोर्स बेस से उड़ान भरी।
- उड़ान अवधि लगभग 37-40 घंटे, हवा में ईंधन भरा गया।
- 6 GBU-57 बम: गहरे भूमिगत बंकर नष्ट करने में सक्षम।
- 30 टॉमहॉक मिसाइल: उच्च सटीकता और गहराई तक मार करने वाली क्षमता।
वैश्विक प्रतिक्रियाएं
1. संयुक्त राष्ट्र
यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने सभी पक्षों से संयम बरतने और यूएन चार्टर का पालन करने की अपील की।
2. हमास
हमास ने अमेरिकी हमले को अंतरराष्ट्रीय शांति पर हमला और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया।
3. चीन
चीन ने संयुक्त राष्ट्र में मुद्दा उठाया और कहा कि यह कदम क्षेत्रीय तनाव को बढ़ाता है।
4. रूस और इस्लामिक देश
रूस और प्रमुख इस्लामिक देशों ने ईरान के पक्ष में कोई स्पष्ट समर्थन नहीं दिया। इससे ईरान को कूटनीतिक अलगाव का सामना करना पड़ रहा है।
5. इज़रायल
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस कार्रवाई की सराहना की और कहा यह मध्य पूर्व में स्थिरता लाने का प्रयास है।
6. हूती और हिज़बुल्लाह
हूती विद्रोहियों ने अमेरिकी जहाज़ों पर हमले की धमकी दी, जबकि हिज़बुल्लाह ने ईरान के समर्थन में कार्यवाही की चेतावनी दी।
7. भारत और अरब देश
इनकी प्रतिक्रिया अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन तेल आपूर्ति और क्षेत्रीय स्थिरता पर चिंता बढ़ी है।
ईरान की संभावित जवाबी रणनीतियाँ
- सीधी सैन्य कार्रवाई: अमेरिकी ठिकानों (बहरीन, इराक आदि) पर मिसाइल/ड्रोन हमला।
- प्रॉक्सी हमले: हिज़बुल्लाह और हूती विद्रोही समूहों द्वारा इज़रायल या अमेरिका पर हमले।
- तेल आपूर्ति पर हमला: होर्मुज़ जलडमरूमध्य की नाकेबंदी कर वैश्विक आपूर्ति प्रभावित करना।
- परमाणु कार्यक्रम में तेजी: संवर्धन प्रक्रिया को तेज करने का संकेत।
- साइबर हमले: अमेरिकी ढांचे और सहयोगी देशों पर साइबर हमला।
ईरान की निगाहें कहा पर
अमेरिका द्वारा ईरान के खिलाफ की गई यह सैन्य कार्रवाई सिर्फ दो देशों के बीच का संघर्ष नहीं, बल्कि पूरे मध्य पूर्व और वैश्विक शक्ति संतुलन को प्रभावित करने वाली घटना है। एक ओर जहां ईरान की जवाबी प्रतिक्रिया की आशंका बनी हुई है, वहीं दूसरी ओर तेल आपूर्ति, वैश्विक बाज़ार, और क्षेत्रीय स्थिरता भी दबाव में हैं।
ऐसे समय में भारत, यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय पक्षों की भूमिका निर्णायक बन जाती है। यह आवश्यक है कि कूटनीतिक माध्यमों से तनाव को कम किया जाए और इस संघर्ष को पूर्ण युद्ध में बदलने से रोका जाए।

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