उत्तरकाशी में बादल फटा: चारधाम यात्रा स्थगित, जान-माल का भारी नुकसान
प्रकाशन तिथि: 29 जून 2025 | स्थान: उत्तरकाशी, उत्तराखंड
आपदा की भयानक रात: बादल फटने से मचा कहर
29 जून 2025 की देर रात उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के बड़कोट-यमुनोत्री मार्ग पर सिलाई बैंड और बलिगढ़ के पास बादल फटने की भयावह घटना घटी। इस हादसे ने न सिर्फ जनजीवन को हिला कर रख दिया, बल्कि चारधाम यात्रा की गति भी रोक दी।
घटनास्थल पर एक निर्माणाधीन होटल पूरी तरह मलबे में दब गई, जहां 8-9 मजदूर लापता हो गए। अब तक दो शव बरामद किए गए हैं जबकि 20 मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया गया है।
भूस्खलन और मार्ग अवरुद्ध
इस प्राकृतिक आपदा से यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग कई स्थानों पर बाधित हो गया है, जिससे यातायात पूरी तरह ठप हो गया है। कुथनौर क्षेत्र में कृषि भूमि को भी भारी नुकसान पहुंचा है।
चारधाम यात्रा पर तत्काल प्रभाव
बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की तीर्थयात्रा कम से कम 24 घंटे के लिए रोक दी गई है। प्रशासन ने तीर्थयात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर रहने और स्थानीय दिशा-निर्देशों का पालन करने की सलाह दी है।
मौसम विभाग का रेड अलर्ट
29 और 30 जून के लिए मौसम विभाग ने उत्तराखंड के 11 जिलों – देहरादून, नैनीताल, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, पौड़ी, टिहरी, हरिद्वार, चंपावत, उधम सिंह नगर – में भारी से अत्यधिक भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है। साथ ही भूस्खलन और आकाशीय बिजली
मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया और राहत कार्य
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आपात समीक्षा बैठक कर स्थिति की निगरानी की और बचाव कार्यों के लिए एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, स्थानीय पुलिस और आपदा प्रबंधन विभाग को तत्परता से जुटने के निर्देश दिए।
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की टीमें मार्ग बहाली में लगी हैं, लेकिन लगातार हो रही बारिश और भारी मलबे के कारण कार्य में रुकावटें आ रही हैं।
बाढ़ प्रबंधन और मॉक ड्रिल
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने 30 जून को उधम सिंह नगर, हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल, और चंपावत में बाढ़ प्रबंधन के तहत मॉक ड्रिल आयोजित करने की योजना बनाई है, जिससे त्वरित आपदा प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जा सके।
सावधानियां और सुझाव
- नदी-नालों के किनारे न जाने की सख्त सलाह दी गई है।
- स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें।
- अनावश्यक यात्रा और पहाड़ी क्षेत्रों की ओर जाने से बचें।
- मौसम अपडेट और चेतावनियों पर लगातार नज़र रखें।
पर्वतीय क्षेत्रों में चुनौती
उत्तरकाशी की यह आपदा एक बार फिर हमें पर्वतीय राज्यों की जलवायु संवेदनशीलता और आपदा प्रबंधन तैयारियों की सच्चाई से रूबरू कराती है। एक ओर जहां प्राकृतिक आपदाएं अप्रत्याशित हैं, वहीं प्रशासन की तत्परता और जनभागीदारी से इनके दुष्प्रभावों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

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