google.com, pub-7513609248165580, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Trump Warns Iran: G7 Exit Signals War Posture,Israel Strikes, Iran Responds – America Mobilizes. Operation Rising Lion Escalates

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Trump Warns Iran: G7 Exit Signals War Posture,Israel Strikes, Iran Responds – America Mobilizes. Operation Rising Lion Escalates

जब युद्ध बोलता है: ईरान-इज़रायल संघर्ष का भावनात्मक दस्तावेज़

जब युद्ध बोलता है: ईरान-इज़रायल संघर्ष का भावनात्मक दस्तावेज़

एक समय जब बम गिरते हैं, तब दिलों में भी विस्फोट होता है।

🌑 नतांज की रात: जब आसमान ने आग उगली

13 जून 2025 की वो रात, जब ईरान के शहर नतांज, करमनशाह और तेहरान की नींद टूट गई – मिसाइलों की आवाज़ से। ऑपरेशन "राइजिंग लायन" के तहत इजरायली जेट जब ईरानी आकाश में गरजे, तो सिर्फ सैन्य ठिकाने नहीं, लोगों के सपने भी राख हो गए।

हुसैन सलामी, IRGC प्रमुख, और कई परमाणु वैज्ञानिक एक ही क्षण में धूल में समा गए। लेकिन सबसे ज़्यादा नुकसान उन माओं का हुआ जिनकी गोदें सूनी हो गईं। आंकड़ों में दर्ज '78 नागरिक मौतें' दरअसल वे चेहरे हैं, जिनके नाम अब दीवारों पर चित्र बनकर रह गए हैं।

🔥 दर्द का प्रतिउत्तर: ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस-3

जवाब में, ईरान ने ग़म और ग़ुस्से को मिसाइलों में बदल डाला। ऑपरेशन "ट्रू प्रॉमिस-3" में 100 से अधिक मिसाइलें इज़राइल की ओर बढ़ीं। तेल अवीव की गलियाँ, जहाँ कभी बच्चे खेला करते थे, अब बंकरों और धूल में बदल गईं। एक नागरिक की मौत, 50 घायल – और अनगिनत आहें।

तकनीक ने भले ही रक्षा की, लेकिन डर ने हर दिल को हिला दिया। बच्चों की आँखों में अब स्कूल की किताबें नहीं, धुएँ की तस्वीरें हैं।

🕊️ G7 में तूफ़ान और ट्रंप की वापसी

कनाडा में चल रहे G7 शिखर सम्मेलन में जब दुनिया "हरित ऊर्जा" की बात कर रही थी, तब ट्रंप के कानों में मिसाइलों की आवाज़ गूंज रही थी। उन्होंने सम्मेलन को बीच में छोड़ दिया – जैसे कोई पिता अपने झगड़ते बच्चों के बीच भागा हो, लेकिन हाथ में हथियार लेकर।

उनका बयान – "हम न देखें, ऐसा नहीं होगा। यदि ईरान ने मित्रों पर हमला किया तो इतिहास इसका फैसला करेगा।" यह बयान जितना शक्तिशाली था, उतना ही डरावना भी – क्या नेता अब शांति के नहीं, प्रतिशोध के प्रतीक बन रहे हैं?

🧠 हथियार नहीं, यादें घायल हुईं

इस संघर्ष में मिसाइलों और ड्रोनों से ज़्यादा जो क्षतिग्रस्त हुआ, वह था 'मानव मन'। करमनशाह के अस्पताल में एक बच्चा रोते हुए बार-बार पूछता रहा – “क्या स्कूल अब कभी खुलेगा?” उसके आंसू किसी आँकड़े में नहीं आएंगे। लेकिन शायद वहीं सबसे सच्चा सबूत हैं इस युद्ध की नाकामी का।

🌍 जब सीमाएँ टूटती हैं, तब दर्द साझा होता है

सऊदी अरब, भारत, जर्मनी – हर देश चिंता में है। संयुक्त राष्ट्र की अपीलें, ब्रिटेन की चेतावनी और रूस की खामोशी – सबने मिलकर एक अधूरे वादे जैसा दृश्य बनाया है। शांति की मोमबत्ती अब आँधी में टिमटिमा रही है।

🔚 निष्कर्ष: राख़ में छिपी चिंगारी – इंसानियत कब जागेगी?

जब मिसाइलें आसमान को चीरती हैं और मासूमों की चीखें दीवारों से टकराकर गुम हो जाती हैं, तब युद्ध केवल हथियारों की भाषा नहीं बोलता – वह मानवता की हार का एलान करता है। ईरान और इजरायल के बीच फैले इस रक्तरंजित क्षितिज पर एक सवाल हवा में तैरता है – आखिर कब तक हम इतिहास से कुछ नहीं सीखेंगे?

एक ओर राष्ट्रों का अभिमान है, दूसरी ओर टूटते परिवार, उजड़ती ज़िंदगियाँ और जलते भविष्य। कूटनीति की मेज़ों पर अगर संवाद मर गया, तो आने वाला कल केवल खंडहरों की विरासत होगा। यह समय है – जब बारूद नहीं, बुनियादों पर विचार हो; जब टैंकों की गर्जना नहीं, दिलों की आवाज़ सुनी जाए।

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