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India’s Global Energy Vision at G7 2025। मोदी G7 में शिरकत करने पहुंचे कनाडा।

G7 शिखर सम्मेलन 2025: ऊर्जा सुरक्षा पर भारत का दृष्टिकोण और वैश्विक सहमति

G7 शिखर सम्मेलन 2025: ऊर्जा सुरक्षा पर भारत का दृष्टिकोण और वैश्विक सहमति

तारीख: 16-17 जून 2025 | स्थान: कनानास्किस, कनाडा


🔥 ऊर्जा सुरक्षा क्यों बनी G7 का केंद्रबिंदु?

16-17 जून 2025 को कनाडा के कनानास्किस में आयोजित G7 शिखर सम्मेलन में वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई। यह विषय इस वर्ष भू-राजनीतिक तनावों, जलवायु संकट और ऊर्जा की बढ़ती मांग के मद्देनजर और भी प्रासंगिक हो गया।

🌞 नवीकरणीय ऊर्जा पर ज़ोर

  • सौर, पवन और हाइड्रोजन ऊर्जा में निवेश बढ़ाने पर आम सहमति बनी।
  • पेरिस समझौते के तहत कार्बन उत्सर्जन में कटौती को लेकर प्रतिबद्धता दोहराई गई।
  • जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने की रणनीति पर भी चर्चा हुई।

⚠️ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला में जोखिम

रूस-यूक्रेन युद्ध, इजरायल-ईरान संघर्ष जैसे तनावों ने तेल और गैस आपूर्ति की स्थिरता पर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं।

  • जी-7 देशों ने वैकल्पिक आपूर्ति मार्गों, जैसे अफ्रीका और मध्य एशिया से ऊर्जा आयात, पर विचार किया।
  • ऊर्जा विविधीकरण (Diversification) को रणनीतिक प्राथमिकता माना गया।

🇮🇳 भारत की भूमिका: ग्लोबल साउथ की आवाज़

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऊर्जा पहुंच को समावेशी और वहनीय बनाने की जरूरत को रेखांकित किया।

  • भारत ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) और 2030 तक 500 GW नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को पेश किया।
  • मिशन LiFE (Lifestyle for Environment)” के माध्यम से हरित जीवनशैली को प्रोत्साहित किया गया।
  • भारत ने ग्रीन हाइड्रोजन और बैटरी स्टोरेज तकनीकों में निवेश की योजनाएँ साझा कीं।
  • ग्लोबल साउथ के लिए ऊर्जा वित्तपोषण और तकनीकी सहयोग की मांग रखी।

🤝 वैश्विक सहयोग और रणनीतिक साझेदारियाँ

G7 नेताओं ने वैश्विक साझेदारी की आवश्यकता को रेखांकित किया।

  • अफ्रीका, एशिया, और लैटिन अमेरिका में ऊर्जा निवेश के लिए G7 प्रतिबद्ध दिखा।
  • भारत ने वैश्विक साझेदारी को “साझेदारी नहीं, सहभागिता” की भावना में ढालने की बात कही।

🇮🇳🤝🇨🇦 भारत-कनाडा ऊर्जा सहयोग

भारत और कनाडा ने ऊर्जा सुरक्षा को लेकर द्विपक्षीय सहयोग की संभावनाएं तलाशी।

  • कनाडा से यूरेनियम आपूर्ति भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के लिए अहम विषय रहा।
  • हरित हाइड्रोजन और स्वच्छ ऊर्जा में तकनीकी साझेदारी की संभावनाएं मजबूत हुईं।
  • कनाडा ने भारत को ऊर्जा R&D में साझेदार बनाने की मंशा जताई।

⚙️ चुनौतियाँ भी रहीं चर्चा में

  • तेल और गैस कीमतों की अनिश्चितता
  • आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान
  • हरित ऊर्जा की ओर संक्रमण में बुनियादी ढांचे की कमी
  • ईरान-इज़रायल संघर्ष के कारण तेल आपूर्ति पर जोखिम

🔚 निष्कर्ष: भारत बना ऊर्जा संवाद का नेतृत्वकर्ता

G7 शिखर सम्मेलन 2025 में भारत ने स्पष्ट कर दिया कि वह सिर्फ एक सहभागी नहीं, बल्कि ऊर्जा नीति के वैश्विक मार्गदर्शक के रूप में उभर रहा है। मोदी का “ग्लोबल साउथ” केंद्रित दृष्टिकोण न सिर्फ भारत की रणनीतिक सोच को दर्शाता है, बल्कि यह विकासशील देशों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब भी है।

स्वच्छ ऊर्जा, सहयोग और समावेशिता – यही है भविष्य की ऊर्जा सुरक्षा का मूलमंत्र।


© 2025 आम चर्चा | लेखक: Himanshu Rai

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