google.com, pub-7513609248165580, DIRECT, f08c47fec0942fa0 पुणे पुल हादसा : इंद्रायणी नदी में ढहा लोहे का पुल, 6 की मौत, कई लापता।

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पुणे पुल हादसा : इंद्रायणी नदी में ढहा लोहे का पुल, 6 की मौत, कई लापता।

पुणे पुल हादसा 2025: इंद्रायणी नदी पर टूटा पुल, दर्दनाक मौतें और ढहता प्रशासनिक ढांचा

पुणे पुल हादसा 2025: इंद्रायणी नदी पर टूटा पुल, दर्दनाक मौतें और ढहता प्रशासनिक ढांचा

रविवार, 15 जून 2025 को पुणे के मावळ तालुका स्थित कुंदमाला गांव में इंद्रायणी नदी पर बना एक पुराना लोहे का पुल ढह गया। यह पुल हादसा तब हुआ जब नदी के ऊपर बने इस पुल से कई पर्यटक और स्थानीय लोग गुजर रहे थे। प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, कम से कम 6 लोगों की मौत हो गई है और 20 से अधिक लोगों के बह जाने की आशंका है।

🚨 ब्रेकिंग न्यूज़: पुणे के मावळ तालुका में इंद्रायणी नदी पर पुल ढहा, कई लोगों के बह जाने की आशंका, राहत कार्य जारी...

हादसे की जगह और समय

यह हादसा रविवार शाम को हुआ, जब बड़ी संख्या में लोग कुंदमाला के पास इंद्रायणी नदी में स्नान और दर्शनों के लिए पहुंचे थे। यह क्षेत्र एक धार्मिक और प्राकृतिक पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। भीड़ और पुल की जर्जर स्थिति ने इस दुर्घटना को भयावह बना दिया।

बचाव अभियान: समय के साथ दौड़

घटना के बाद NDRF की टीमों को तुरंत मौके पर रवाना किया गया। पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस, दमकल दल और स्थानीय प्रशासन ने मिलकर राहत कार्य शुरू किया। रिपोर्ट के अनुसार, 5-6 लोगों को बचाया गया है और एक शव बरामद किया गया है। नदी की तेज़ धार और अंधेरा होने के कारण बचाव कार्यों में मुश्किलें आ रही हैं।

स्थानीय नागरिकों की भूमिका: हादसे के तुरंत बाद ग्रामीणों ने पुलिस को सूचित किया और कुछ युवकों ने नदी में छलांग लगाकर लोगों को बचाने का प्रयास किया। यह नागरिक साहस व्यवस्था की लाचारी के बीच उम्मीद की किरण है।

संभावित कारण: केवल बारिश नहीं, रखरखाव की अनदेखी

स्थानीय सूत्रों के अनुसार यह पुल पुराना और क्षतिग्रस्त था। हाल की बारिशों से नदी का जलस्तर बढ़ गया था, जिससे पुल पर दबाव और बढ़ गया। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया कि भारी दोपहिया यातायात भी हादसे का कारण हो सकता है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

यह कोई पहली घटना नहीं है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और असम जैसे राज्यों में भी हाल ही में इसी तरह की घटनाएँ हुईं जहाँ पुरानी संरचनाओं के रखरखाव की कमी जानलेवा साबित हुई।

पर्यटन स्थल और अव्यवस्था

रविवार होने के कारण नदी के किनारे भारी भीड़ थी। प्रशासन की ओर से न तो भीड़ नियंत्रण के इंतजाम थे और न ही सुरक्षा संकेत। पुल की हालत को लेकर पहले से कोई चेतावनी नहीं दी गई थी। यह लापरवाही अब जानलेवा साबित हुई है।

प्रशासनिक प्रतिक्रिया और ज़िम्मेदारी

स्थानीय प्रशासन ने जांच के आदेश दे दिए हैं। परंतु “जांच के आदेश” अब घिसी-पिटी प्रतिक्रिया बन चुकी है। जनता जानना चाहती है कि—

  • क्या इस पुल की जाँच आखिरी बार कब हुई थी?
  • इस पर कितने लोगों की आवाजाही की अनुमति थी?
  • स्थानीय पंचायत या नगर परिषद ने मरम्मत की माँग कब-कब उठाई थी?
राजनीतिक चुप्पी: अब तक राज्य सरकार की ओर से केवल संवेदना जताई गई है। क्या संवेदना पर्याप्त है जब जानें चली जाएं? जनता जवाब चाहती है – जांच नहीं, जिम्मेदारी तय हो।

मृतकों के परिवारों के लिए मुआवजा?

हादसे में मारे गए और लापता लोगों के परिजनों को अब तक कोई स्पष्ट मुआवजा योजना घोषित नहीं की गई है। प्रशासन का कहना है कि “स्थिति का मूल्यांकन किया जा रहा है।” पर हर घंटे की देरी, लोगों की पीड़ा को बढ़ा रही है।

क्या सीखा जाएगा?

यह हादसा एक बार फिर हमें बताता है कि भारत के ढांचागत विकास में सिर्फ नई इमारतें और स्मार्ट सिटी ही नहीं, पुरानी संरचनाओं का संरक्षण और मानवीय सुरक्षा भी उतना ही ज़रूरी है। जब तक प्रशासन जवाबदेह नहीं बनता, तब तक “विकास” एक खोखला शब्द रहेगा।

“Aam Charcha” की मांग

  • हादसे की समयबद्ध न्यायिक जांच हो
  • मृतकों और लापता लोगों के परिजनों को तुरंत मुआवजा दिया जाए
  • पुलों और सार्वजनिक संरचनाओं की तत्काल निरीक्षण प्रक्रिया शुरू हो
  • स्थानीय प्रशासन और PWD की जिम्मेदारी तय हो

क्या यही 'अमृत काल' है, जहाँ पुलों के नीचे जिंदगी बह जाती है? सवाल गंभीर हैं, जवाब अब सिर्फ “शोक संदेश” से नहीं चलेगा।

“Aam Charcha” इस घटना पर लगातार अपडेट देता रहेगा।

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