google.com, pub-7513609248165580, DIRECT, f08c47fec0942fa0 7 दिनों में दुनिया में हो सकता है,एक और युद्ध,इज़रायल करेगा ईरान पर हमला?

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7 दिनों में दुनिया में हो सकता है,एक और युद्ध,इज़रायल करेगा ईरान पर हमला?

ईरान-इज़रायल युद्ध की संभावना: सीएनएन, न्यूयॉर्क टाइम्स और व्हाइट हाउस का रुख -

ईरान और इज़रायल के बीच बढ़ता तनाव वैश्विक चिंता का विषय बना हुआ है। 2023 और 2024 में दोनों देशों के बीच कई सैन्य टकराव और जवाबी कार्रवाइयां देखने को मिली हैं, जिसने पूर्ण युद्ध की आशंका को बढ़ा दिया है। इस लेख में हम सीएनएन और न्यूयॉर्क टाइम्स की हालिया रिपोर्ट्स, व्हाइट हाउस के रुख, और इस स्थिति के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करेंगे।
ईरान-इज़रायल तनाव का इतिहास

ईरान और इज़रायल के बीच तनाव की जड़ें ऐतिहासिक, धार्मिक और भू-राजनीतिक कारणों में निहित हैं। 1982 के लेबनान युद्ध के दौरान ईरान द्वारा हिजबुल्लाह और अन्य प्रॉक्सी समूहों को समर्थन देने से शुरू हुआ यह मतभेद समय के साथ और गहरा गया। 2023 में हमास के इज़रायल पर हमले (7 अक्टूबर) और 2024 में दमिश्क में ईरानी दूतावास पर इज़रायली हमले ने स्थिति को और जटिल कर दिया।

हाल की घटनाएं

2024 में तनाव का बढ़ना: अप्रैल 2024 में इज़रायल ने दमिश्क में ईरानी दूतावास पर हमला किया, जिसमें कई वरिष्ठ ईरानी अधिकारी मारे गए। जवाब में, ईरान ने 13 अप्रैल को इज़रायल पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए।

इज़रायल की प्रतिक्रिया: अक्टूबर 2024 में इज़रायल ने ईरान, इराक, और सीरिया में जवाबी हमले किए, जिसके बाद दोनों देशों में बयानबाजी तेज हो गई।

बंदर अब्बास विस्फोट: अप्रैल 2025 में ईरान के बंदर अब्बास पोर्ट पर हुए विस्फोट में 40 से अधिक लोग मारे गए, जिसने क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ाया।


सीएनएन की रिपोर्ट

सीएनएन के अनुसार, अमेरिकी खुफिया जानकारी में संकेत मिले हैं कि इज़रायल ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले की योजना बना रहा है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इज़रायली नेतृत्व ने अंतिम फैसला लिया है या नहीं। सीएनएन ने बताया कि यदि अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौता नहीं होता, जिसमें ईरान का सारा यूरेनियम हटाया जाए, तो इज़रायल के हमले की संभावना और बढ़ सकती है।

सीएनएन ने यह भी उल्लेख किया कि अमेरिकी प्रशासन में इस बात पर मतभेद हैं कि क्या इज़रायल वास्तव में इस तरह का हमला करेगा। कुछ अधिकारियों का मानना है कि इज़रायल का रुख ट्रंप प्रशासन की कूटनीतिक नीतियों से अलग हो सकता है, जो परमाणु समझौते को प्राथमिकता देता है।

न्यूयॉर्क टाइम्स की अंतर्दृष्टि

न्यूयॉर्क टाइम्स ने हाल के तनावों पर विस्तृत विश्लेषण प्रकाशित किया है, जिसमें कहा गया है कि इज़रायल के संभावित हमले ईरान के परमाणु कार्यक्रम को निशाना बना सकते हैं। अखबार ने खुफिया सूत्रों के हवाले से बताया कि इज़रायल की रणनीति में ईरान की मिसाइल उत्पादन क्षमता और सैन्य ठिकानों को नुकसान पहुंचाना शामिल हो सकता है।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने यह भी उल्लेख किया कि इज़रायल का यह कदम क्षेत्रीय युद्ध को भड़का सकता है, जिसमें हिजबुल्लाह और हमास जैसे प्रॉक्सी समूह भी शामिल हो सकते हैं। हालांकि, इज़रायल का मानना है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम उसके लिए अस्तित्व का खतरा है, जिसके कारण वह सैन्य कार्रवाई को प्राथमिकता दे सकता है।

व्हाइट हाउस का रुख

व्हाइट हाउस, विशेष रूप से ट्रंप प्रशासन, ने ईरान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई को पत्र लिखकर परमाणु कार्यक्रम पर दो महीने की समयसीमा दी है। ट्रंप ने चेतावनी दी कि यदि कोई समझौता नहीं हुआ, तो सैन्य कार्रवाई संभव है।

परमाणु वार्ता: ट्रंप प्रशासन ने परमाणु समझौते को प्राथमिकता दी है, लेकिन ईरान ने सीधी बातचीत से इनकार कर दिया है।

इज़रायल का समर्थन: अमेरिका ने इज़रायल के साथ मजबूत समर्थन व्यक्त किया है। अक्टूबर 2024 में ईरान के हमले के बाद, अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने इज़रायल को पहले ही आगाह कर दिया था, और व्हाइट हाउस ने इज़रायल की रक्षा के लिए प्रतिबद्धता दोहराई।

हूती और प्रॉक्सी समूहों पर कार्रवाई: ट्रंप ने यमन के हूती विद्रोहियों, जिन्हें ईरान का समर्थन प्राप्त है, पर हमले तेज किए हैं और उनके समर्थकों को भी चेतावनी दी है।


क्या युद्ध की संभावना है?

ईरान और इज़रायल के बीच पूर्ण युद्ध की संभावना कई कारकों पर निर्भर करती है:

1. ईरान का परमाणु कार्यक्रम: यदि इज़रायल को लगता है कि ईरान परमाणु हथियार विकसित करने के करीब है, तो वह निवारक हमले कर सकता है।


2. प्रॉक्सी युद्ध: हिजबुल्लाह, हमास, और अन्य ईरानी समर्थित समूहों की भागीदारी युद्ध को क्षेत्रीय स्तर पर ले जा सकती है।


3. अंतरराष्ट्रीय समर्थन: अमेरिका और जी-7 देशों ने युद्ध की स्थिति से बचने की इच्छा जताई है, लेकिन इज़रायल को अमेरिकी समर्थन युद्ध की स्थिति में निर्णायक हो सकता है।


4. आर्थिक और कूटनीतिक दबाव: ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध और तेल व्यापार पर ट्रंप की धमकी से ईरान की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा है, जो उसे जवाबी कार्रवाई के लिए उकसा सकता है।



भारत पर प्रभाव

यदि ईरान और इज़रायल के बीच युद्ध छिड़ता है, तो भारत पर इसका गहरा प्रभाव पड़ सकता है:

तेल की कीमतें: भारत, जो खाड़ी देशों से बड़े पैमाने पर तेल आयात करता है, को तेल आपूर्ति में कमी और कीमतों में वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है।

कूटनीतिक संतुलन: भारत के इज़रायल और ईरान दोनों के साथ अच्छे संबंध हैं। युद्ध की स्थिति में भारत को दोनों के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण होगा।

क्षेत्रीय स्थिरता: पश्चिम एशिया में अस्थिरता भारत के प्रवासी श्रमिकों और व्यापार को प्रभावित कर सकती है।

सुरक्षा पर असर: भारत को आतंकी गतिविधियों के बढ़ने की आशंका भी हो सकती है, खासकर यदि किसी पक्ष द्वारा भारत को अप्रत्यक्ष रूप से निशाना बनाया जाता है।

परिणाम -

ईरान और इज़रायल के बीच तनाव 2025 में चरम पर है, और सीएनएन व न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट्स के अनुसार, इज़रायल के परमाणु ठिकानों पर हमले की संभावना बढ़ रही है। व्हाइट हाउस ने कूटनीतिक समाधान की वकालत की है, लेकिन इज़रायल के समर्थन में उसका रुख स्पष्ट है। युद्ध की स्थिति से बचने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। भारत जैसे देशों को इस स्थिति पर नजर रखते हुए अपनी कूटनीतिक और आर्थिक रणनीतियों को तैयार करना होगा।


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