google.com, pub-7513609248165580, DIRECT, f08c47fec0942fa0 ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल,भारतीय सेना का ब्रह्मास्त्र

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ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल,भारतीय सेना का ब्रह्मास्त्र

 ब्रह्मोस भारत की एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जो विश्व की सबसे तेज मिसाइलों में से एक है।

यह लैंड, सी, एयर, और सबमरीन से लॉन्च हो सकती है, जिससे यह बहुमुखी है।

इसकी गति मच 2.8 से 3 तक है, और रेंज 800 किमी तक बढ़ाई जा चुकी है।

आगामी संस्करण, जैसे ब्रह्मोस-2, हाइपरसोनिक होंगे, जिसकी गति मच 8 और रेंज 1,500 किमी तक हो सकती है।

यह रूसी 3M22 ज़िरकॉन और चीनी YJ-18 जैसे मिसाइलों से प्रतिस्पर्धा करती है, लेकिन स्टील्थ और फायर एंड फॉरगेट तकनीक इसे विशेष बनाती है।

ब्रह्मोस की खूबियां

ब्रह्मोस की मुख्य खूबियां हैं:

उच्च गति और किनेटिक ऊर्जा, जो इसे विनाशकारी बनाती है।

स्टील्थ तकनीक, जो इसे रडार से बचने में मदद करती है।

200-300 किग्रा वारहेड, जो लक्ष्य को नष्ट करने में सक्षम है।

15 किमी तक की ऊंचाई और 10 मीटर तक की कम ऊंचाई पर उड़ान, जो इसे रक्षा प्रणालियों से बचने में सक्षम बनाती है।


विकास और तुलना 

ब्रह्मोस का विकास 1998 में भारत और रूस के बीच संयुक्त उद्यम के तहत हुआ, और इसे 2001 में पहली बार परीक्षण किया गया। यह रूसी P-800 Oniks पर आधारित है, लेकिन अब भारत इसे ज्यादातर घरेलू रूप से उत्पादित करता है।

तुलना में, रूसी 3M22 ज़िरकॉन हाइपरसोनिक है, जो ब्रह्मोस से तेज है, लेकिन ब्रह्मोस की बहुमुखीता और वर्तमान में सेवा में होने के कारण इसे विशेष माना जाता है। अमेरिकी वायु रक्षा प्रणालियां इसे अवरोधित कर सकती हैं, जो दर्शाता है कि यह पूरी तरह से अजेय नहीं है।

आने वाले संस्करण

ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक होगी, जिसकी गति मच 8 और रेंज 1,500 किमी तक होगी, और ब्रह्मोस-एनजी (अगली पीढ़ी) छोटा, हल्का, और अधिक स्टील्थ होगा, जो 2026 तक परीक्षण के लिए तैयार है।

विस्तृत सर्वेक्षण नोट

ब्रह्मोस मिसाइल भारत की रक्षा क्षमताओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल श्रेणी में विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाए हुए है। यह मिसाइल भारत और रूस के बीच संयुक्त उद्यम ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा विकसित की गई है, और इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मॉस्को नदियों के नाम पर रखा गया है।

 इस लेख में, हम ब्रह्मोस की विशेषताओं, विश्व की अन्य सुपरसोनिक मिसाइलों के साथ तुलना, इसके विकास इतिहास, और आगामी संस्करणों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

ब्रह्मोस की विशेषताएं और तकनीकी विवरण

ब्रह्मोस एक दो-चरण वाली मिसाइल है, जिसमें पहला चरण ठोस प्रणोदक रॉकेट बूस्टर है, जो इसे सुपरसोनिक गति तक पहुंचाता है, और दूसरा चरण लिक्विड रैमजेट है, जो इसे मच 2.8 से 3 तक की गति प्रदान करता है।

 इसकी मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

गति और रेंज: 

इसकी गति मच 2.8 से 3 तक है, और रेंज 290 किमी से बढ़कर 800 किमी तक हो चुकी है, जो मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) में भारत की सदस्यता के बाद संभव हुआ।

 आगामी संस्करणों में रेंज 1,500 किमी तक बढ़ने की संभावना है।

लॉन्च प्लेटफॉर्म: 

यह लैंड, सी, एयर, और सबमरीन से लॉन्च की जा सकती है, जो इसे अत्यंत बहुमुखी बनाता है। भारतीय नौसेना (2005), थलसेना (2007), और वायुसेना (2019) में इसे शामिल किया गया है।

स्टील्थ और गाइडेंस:

 इसमें स्टील्थ तकनीक है, जो इसे रडार से बचने में मदद करती है। यह इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS) और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) से लैस है, जो इसे उच्च सटीकता प्रदान करता है।

वारहेड और ऊंचाई: 

इसका वारहेड 200-300 किग्रा का है, और यह 15 किमी तक की ऊंचाई पर उड़ सकता है, जबकि टर्मिनल चरण में 10 मीटर तक की कम ऊंचाई पर समुद्र-स्किमिंग अटैक कर सकता है, जो इसे रक्षा प्रणालियों से बचने में सक्षम बनाता है।

फायर एंड फॉरगेट प्रिंसिपल:

 एक बार लॉन्च होने के बाद, इसे अतिरिक्त निर्देश की आवश्यकता नहीं होती, जो इसे ऑपरेशन में आसान बनाता है।

विश्व की अन्य सुपरसोनिक मिसाइलों के साथ तुलनाब्रह्मोस को अन्य सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक मिसाइलों के साथ तुलना करने पर, यह कई पहलुओं में खड़ा होता है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में चुनौतियां भी हैं।

रूसी 3M22 ज़िरकॉन:

 यह हाइपरसोनिक मिसाइल है, जिसकी गति मच 8 तक है, जो ब्रह्मोस से कहीं अधिक तेज है। यह मुख्य रूप से समुद्री लक्ष्यों के खिलाफ उपयोग की जाती है, और इसके विकास में रूस ने उन्नत स्क्रैमजेट तकनीक का उपयोग किया है। ब्रह्मोस-2 का विकास इसी तरह की क्षमताओं के साथ किया जा रहा है, जो इसे ज़िरकॉन के समकक्ष ला सकता है।

चीनी YJ-18:

 यह एक सुपरसोनिक एंटी-शिप मिसाइल है, जिसकी रेंज 540 किमी तक है। इसकी गति ब्रह्मोस के समान है, लेकिन इसकी बहुमुखीता कम है, क्योंकि यह मुख्य रूप से समुद्री लक्ष्यों के लिए डिज़ाइन की गई है।

अमेरिकी मिसाइलें:

 अमेरिका के पास सीधे तौर पर ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल नहीं है, लेकिन उनके पास GQM-163 कोयोट जैसे टेस्ट टारगेट हैं, जो मच 4 तक की गति प्राप्त कर सकते हैं, जो दर्शाता है कि वे ऐसी मिसाइल विकसित करने में सक्षम हैं। 

इसके अलावा, अमेरिकी वायु रक्षा प्रणालियां जैसे SM-2, SM-6, और ESSM ब्रह्मोस को अवरोधित कर सकती हैं, जो दर्शाता है कि यह पूरी तरह से अजेय नहीं है।

फ्रेंच ASMP: 

यह एक सुपरसोनिक मिसाइल है, जिसकी गति मच 3 तक है, लेकिन इसका उपयोग मुख्य रूप से बैलिस्टिक मिसाइलों के खिलाफ किया जाता है, और इसकी रेंज ब्रह्मोस की तुलना में कम है।

विकास इतिहास

ब्रह्मोस का विकास 1998 में भारत और रूस के बीच एक समझौते के तहत शुरू हुआ, जिसमें दोनों देशों ने ब्रह्मोस एयरोस्पेस की स्थापना की, जिसमें भारत का 50.5% और रूस का 49.5% शेयर है। पहला सफल परीक्षण 2001 में हुआ, और इसे 2005 में भारतीय नौसेना, 2007 में भारतीय थलसेना, और 2019 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया। यह मिसाइल रूसी P-800 Oniks पर आधारित है, लेकिन अब भारत इसे ज्यादातर घरेलू रूप से उत्पादित करता है, जो इसे एक गर्व की बात बनाता है। 2016 में भारत के MTCR में शामिल होने के बाद, इसकी रेंज बढ़ाकर 800 किमी की गई, और 2024 में भारतीय नौसेना ने 220 ब्रह्मोस मिसाइलों का ऑर्डर दिया, जिनकी रेंज 800 किमी है।


आने वाले संस्करण और भविष्य की संभावनाएंब्रह्मोस के आगामी संस्करण निम्नलिखित हैं, जो इसे और अधिक शक्तिशाली बनाएंगे:

ब्रह्मोस-2 (BrahMos-II): 

यह एक हाइपरसोनिक मिसाइल है, जिसकी गति मच 8 तक होगी और रेंज 1,500 किमी तक होगी। इसका विकास रूसी 3M22 ज़िरकॉन की तकनीक पर आधारित है, और इसे 2026 तक परीक्षण के लिए तैयार होने की उम्मीद है।

 यह चौथी पीढ़ी के रूसी नौसैनिक विध्वंसक (Project 21956) में भी शामिल किया जा सकता है।

ब्रह्मोस-एनजी (BrahMos-NG): 

यह अगली पीढ़ी का संस्करण है, जो छोटा, हल्का, और अधिक स्टील्थ होगा। इसमें उन्नत इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटरमेजर (ECCM) और टॉरपीडो ट्यूब से लॉन्च करने की क्षमता होगी, जो इसे वायु और नौसैनिक अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त बनाएगा।

निष्कर्ष

ब्रह्मोस मिसाइल भारत की रक्षा क्षमताओं का एक अभिन्न अंग है, जिसकी गति, रेंज, और बहुमुखीता इसे विश्व की शक्तिशाली मिसाइलों में से एक बनाती है। यह अन्य सुपरसोनिक मिसाइलों जैसे रूसी 3M22 ज़िरकॉन और चीनी YJ-18 से प्रतिस्पर्धा करती है, लेकिन इसकी विशिष्ट विशेषताएं, जैसे स्टील्थ तकनीक और फायर एंड फॉरगेट प्रिंसिपल, इसे अद्वितीय बनाती हैं। इसके आगामी संस्करण, विशेष रूप से ब्रह्मोस-2, इसे हाइपरसोनिक श्रेणी में लाएंगे, जो इसे और अधिक शक्तिशाली बनाएंगे।

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