उत्तर प्रदेश स्कूल पेयरिंग योजना बनाम RTE अधिनियम 2009: क्या शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन?
📌 मुख्य बिंदु
- योजना NEP 2020 के तहत शुरू हुई लेकिन शिक्षा तक पहुँच पर सवाल उठे।
- हाईकोर्ट ने इसे वैध ठहराया लेकिन सामाजिक स्तर पर चिंता बनी हुई है।
- RTE अधिनियम की भावना और वास्तविकता के बीच अंतर पर बहस जारी है।
📚 स्कूल पेयरिंग योजना का परिचय
उत्तर प्रदेश सरकार ने NEP 2020 के तहत एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है जिसमें कम छात्र संख्या वाले प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों को एक साथ जोड़ा जा रहा है। इसका लक्ष्य शिक्षा गुणवत्ता को सुधारना और संसाधनों का समुचित प्रयोग करना है।
⚖️ RTE अधिनियम और पेयरिंग का टकराव
RTE अधिनियम 2009 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार देता है। अधिनियम में स्कूल की निकटता, शिक्षक-छात्र अनुपात और बुनियादी सुविधाओं का स्पष्ट उल्लेख है। स्कूल पेयरिंग योजना इन मानकों को किस हद तक पूरा करती है, इस पर व्यापक चर्चा हुई है।
👣 शिक्षा तक पहुँच
- RTE: ग्रामीण क्षेत्र में 1 किमी और शहरी क्षेत्र में 3 किमी के अंदर स्कूल होना चाहिए।
- पेयरिंग योजना के बाद कई बच्चों को 3-5 किमी दूर जाना पड़ रहा है।
- सरकार ने परिवहन की बात कही, पर ज़मीनी स्तर पर इसकी उपलब्धता संदेहास्पद है।
📉 गुणवत्ता और संसाधन
- बड़े स्कूलों में संसाधन केंद्रित हो सकते हैं लेकिन शिक्षक-छात्र अनुपात बिगड़ने का खतरा है।
- छोटे स्कूल बंद होने से मिड-डे मील और यूनिफॉर्म जैसी सुविधाओं की निरंतरता पर असर पड़ सकता है।
🧑⚖️ हाईकोर्ट का निर्णय
लखनऊ हाईकोर्ट ने 7 जुलाई, 2025 को निर्णय देते हुए कहा कि यह योजना RTE का उल्लंघन नहीं है। अदालत ने याचिकाकर्ताओं से ठोस सबूत न मिलने पर सरकार के पक्ष में निर्णय दिया। हालांकि सामाजिक चिंताएँ यथावत बनी हुई हैं।
📊 आँकड़े और तुलनात्मक दृष्टिकोण
| वर्ग | आँकड़ा |
|---|---|
| कुल सरकारी स्कूल | 1.3 लाख |
| पेयरिंग स्कूल | 10,000+ |
| विद्यार्थी संख्या (2022-23) | 1.92 करोड़ |
| विद्यार्थी संख्या (2025-26) | लगभग 1 करोड़ |
| 50 से कम विद्यार्थी वाले स्कूल | लक्षित पेयरिंग |
📣 सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
- ग्रामीण क्षेत्रों से विरोध – लंबी दूरी, लड़कियों की सुरक्षा चिंता।
- राजनीतिक दलों का दावा – 27,000 स्कूल बंद होने की आशंका।
- X (ट्विटर) पर सक्रिय विरोध और जनभावना स्पष्ट।
🔚 समाधान
स्कूल पेयरिंग योजना संसाधनों का कुशल उपयोग करने का एक प्रयास है, लेकिन शिक्षा तक पहुँच, विशेष रूप से गरीब और ग्रामीण समुदायों के लिए, एक चुनौतीपूर्ण पहलू है। योजना को लागू करते समय RTE अधिनियम की भावना को संरक्षित रखना अनिवार्य है।
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